हो जाएं सावधान अगर आपकी गाड़ी पर अंकित हैं ये शब्द। Samastipur News

 बिहार में अब वाहनों पर फर्जी 'प्रेस' और 'पुलिस' जैसे स्टिकर्स के इस्तेमाल को लेकर सख्त कार्रवाई की जा रही है, बिहार के डीजीपी (DGP) विनय कुमार ने इस तरह के वाहनों की जांच का आदेश दिया है, जिसमें पुलिस, प्रेस, सेना या इस तरह के शब्द जिस वाहन में लिखे हुए हैं।



28 जनवरी 2025 को जारी हुए निर्देश के अनुसार, अपराधी और असामाजिक तत्व अपराध करने के लिए इन शब्दों का दुरुपयोग करते हैं, डीजीपी विनय कुमार ने सभी पुलिस अधिकारियों को ऐसे वाहनों की सख्ती से जांच करने का निर्देश दिया है, उन्होंने कहा कि अगर कोई वाहन फर्जी पुलिस या प्रेस के स्टिकर्स के साथ पकड़ा जाता है, तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा।


इस कदम से अपराध को रोकने में मदद मिलेगी। डीजीपी ने पुलिसकर्मियों को अनुशासित रहने और असामाजिक गतिविधियों से दूर रहने का भी निर्देश दिया है। उन्होंने जनता के सहयोग की भी अपील की है। डीजीपी ने सभी पुलिस थानों को इस तरह के वाहनों की बारीकी से जांच करने का आदेश दिया है।


अक्सर देखा गया है कि अपराधी और असामाजिक तत्व अपनी पहचान को छुपाने और लोगों को डराने के लिए वाहनों पर इस तरह के शब्द लिखवाते हैं, डीजीपी ने कहा कि इससे अपराध बढ़ता है। इसलिए ऐसे वाहनों की जांच करना और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना काफी जरूरी है।


डीजीपी विनय कुमार ने कहा कि यह पाया गया है कि अनेक वाहनों पर प्रेस, पुलिस, सेना या अन्य संकेतक शब्द लिखे जा रहे हैं, अधिकतर ऐसे वाहनों पर पुलिसकर्मी या प्रेस के लोग होते ही नहीं हैं। अपराधी और असामाजिक व्यक्तियों द्वारा अपराध या असामाजिक कार्य करने की अधिक संभावना होती है।


इस कदम से बिहार में कानून और व्यवस्था पर नियंत्रण में सुधार की आशा है। यह आदेश सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, जैसे कि एडीजी, आईजी, डीआईजी, एसएसपी, और एसपी को भेजा गया है, इससे सुनिश्चित होगा कि यह आदेश पूरे राज्य में लागू हो, हालांकि, डीजीपी ने सिर्फ वाहनों की जांच तक ही सीमित नहीं रखा है।


पुलिसकर्मियों को अनुशासित रहने की सलाह भी दी, कुछ मामलों में ऐसा लगता है कि पुलिस अपराधी बन गई है, यह बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। बिहार में वाहनों पर फर्जी 'प्रेस' और 'पुलिस' स्टिकर्स के इस्तेमाल के खिलाफ डीजीपी विनय कुमार के निर्देश से सख्ती से निपटा जा रहा है। यह प्रयास राज्य में अपराध को रोकने और असामाजिक तत्वों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने का एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।


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