( झून्नू बाबा )
समस्तीपुर : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की अनुसंधान परिषद की बैठक के दूसरे दिन मक्का के दो प्रभेद राजेंद्र मक्का 5, राजेन्द्र मक्का 6 और मसूर के एक प्रभेद राजेंद्र मसूर 2 को रिलीज के लिए प्रस्तुत किया गया। तीनों प्रभेद का विस्तृत विवरण राजेंद्र हाइब्रिड मक्का 5: इस किस्म के पौधा की ऊंचाई 185 से 190 सें मी है,।
यह 135-140 दिनों में परिपक्वत हो जाता है। यह टर्सिकम पत्ती ब्लाइट और फॉल आर्मीवर्म के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है । 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की बीज दर के साथ, इसकी उपज वर्तमान प्रभेदों से लगभग दस प्रतिशत अधिक है।-
राजेंद्र मक्का 6: यह किस्म 190-195 सेमी की पौधा ऊंचाई वाला है और 150-160 दिनों में परिपक्व हो जाता है। यह फॉल आर्मीवर्म के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की बीज दर के साथ, इसकी उपज वर्तमान प्रभेदों से पंद्रह प्रतिशत अधिक है।राजेंद्र मसूर 2: यह किस्म प्रति हेक्टेयर 1750 किग्रा की औसत उपज देती है।
यह विल्ट रोग, पोड बोरर,एफिड, और रूट नॉट नेमाटोड रोगो के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, जो इसे बिहार में संपूर्ण रूप से उगाने के लिए उपयुक्त बनाती है। इसकी पौधा ऊंचाई 42 सेमी है।बैठक में बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालय कार्नेल विश्वविद्यालय अमेरिका समेत कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर कई अनुसंधान कर रहा है।
उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित बनाने में कृषि वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान परियोजनाओं में किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय वैज्ञानिकों के लिए हर तरह की सुविधा उपलब्ध करवा रहा है।
लगभग पचास से अधिक वैज्ञानिकों ने पिछले दो वर्षों में बीस से अधिक देशों में कार्य किया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में अनुसंधान को लेकर एक नया माहौल बना है जिसके परिणाम आने वाले समय में कृषि के लिए लाभकारी होंगे। पूर्व कुलपति डॉ. एमवी. चेट्टी ने विश्वविद्यालय की प्रगति की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि पिछले दो से ढाई सालों में 13 पेटेंट, छह किस्में, और 18 से अधिक तकनीकों का विकास सराहनीय है। पूर्व कुलपति डॉ. एआर. पाठक ने वैज्ञानिकों के राष्ट्र के प्रति योगदान के महत्व पर जोर दिया, सटीक और निष्पक्ष डेटा की आवश्यकता पर बल दिया। अनुसंधान निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में अनुसंधान को कुलपति के निर्देश और पर्यवेक्षण के कारण नई दिशा मिली है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के सभी अनुसंधान परियोजनाओं की समीक्षा बाह्य विशेषज्ञों से हर छह महीने पर होती है। इससे अनुसंधान की क्वालिटी काफी अच्छी हो गई है। कार्यक्रम में निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ मयंक राय , निदेशक शिक्षा डा उमाकांत बेहरा, डीन बेसिक साइंस डॉ अमरेश चंद्रा , डीन इंजीनियरिंग डॉक्टर राम सुरेश वर्मा , डीन वानिकी डॉ आर के झा,डीन कम्युनिटी साइंस डॉ उषा सिंह, पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ राकेश मणि शर्मा, डॉ मुकेश कुमार, डॉ महेश कुमार, डॉ शिवपूजन सिंह, डॉ शंकर झा , डॉ कुमार राज्यवर्धन समेत विभिन्न शिक्षक वैज्ञानिक एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।