ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ पारा मेडिकल एंड रिसर्च: पहले प्राथमिकी का आदेश, फिर पुनः जांच का अनुरोध। Samastipur News

( झुन्नू बाबा )

समस्तीपुर : सरकारी स्तर पर छात्र-छात्राओं को अध्ययन में

आ रही आर्थिक परेशानी को दूर करने की महत्वाकांक्षी योजना भी बिचौलियों की नजर से बच न सकी. सरकार की आंख में धूल झोंककर कई संस्थान फर्जी तरीके से स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का लाभ लेने का मामला उजागर हुआ. मामला संज्ञान में आते ही जांच के बाद कार्रवाई के लिए पत्राचार भी किया गया. 



फिर बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना से जुड़े वरीय अधिकारी ही पत्राचार कर बताते है कि संस्थान द्वारा जारी एक अनुरोध पत्र प्राप्त हुआ है जिसमे प्रतिवेदित किया गया है कि संस्थान पर लगाए गए आरोप निराधार है और इसकी पुनः जांच करायी जाए. यह मामला जिले के कल्याणपुर प्रखंड के मालीनगर स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ पारा मेडिकल एंड रिसर्च से जुड़ा है.


 विदित हो कि बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के प्रभारी पदाधिकारी नसीम अहमद ने ने डीपीओ सह नोडल पदाधिकारी को पत्र भेज उक्त संस्थान पर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का गलत ढंग से लाभ प्राप्त कर छात्र छात्राओं के साथ छल प्रपंच कर सरकारी राशि का अपव्यय करने के विरूद्ध उक्त संस्थान के सचिव/अध्यक्ष/प्राचार्य एवं तत्कालीन थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन एजेंसी एमएस प्रीग्रीन गाडिंग प्राइवेट लिमिटेड, गुडगांव पर प्राथमिकी दर्ज करा प्राथमिकी की प्रति उपलब्ध कराने के आदेश तीस सितंबर को जारी करते है. 


इसकी भनक संस्थान के संचालन को ज्यो ही लगती है. उक्त संस्थान के संचालक चार अक्टूबर को बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के अपर सचिव सह नोडल पदाधिकारी सज्जन आर. को आवेदन देकर पुनः जांच कराने की मांग करते है. 


बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के अपर सचिव सह नोडल पदाधिकारी भी आवेदन पर संज्ञान लेते हुए आठ अक्तूबर को डीएम को पत्र जारी कर पत्राचार में वर्णित आरोपों की एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर जांच करवाते हुए जांच प्रतिवेदन उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया है.


आवेदकों से ऋण वसूली की प्रक्रिया प्रारंभ करने का है निर्देश बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम के पत्रांक 44, दिनांक 9 मार्च 2020 द्वारा उक्त संस्थान के विरूद्ध प्रतिकूल टिप्पणी पर जांच दल गठित कर जांच पड़ताल की गयी तो जांच प्रतिवेदन में संबंधित संस्थान के विरूद्ध स्पष्ट प्रतिवेदित किया गया कि संस्थान द्वारा छल प्रपंच व धोखाधड़ी की गयी है. 


वित्त निगम ने आवेदकों से ऋण वसूली की प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया था. जांच पदाधिकारियों ने प्रतिवेदित किया है कि उक्त संस्थान के लेटर हेड पर अंकित पते पर ग्रीन वैली हास्पिटल परिसर में ताला बंद था. संस्थान में कोई वर्ग संचालित नहीं था. न ही छात्र शिक्षक उपस्थित थे.


 सबसे चौंकाने वाली बात यह कि परिसर में कही भी उक्त संस्थान का बोर्ड नहीं लगा था. मिली जानकारी के मुताबिक 25 जनवरी 2020 से इस शिक्षण संस्थान के प्राप्त सभी आवेदन की प्रोसेसिंग पर रोक लगा दी गयी थी. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ पारा मेडिकल एंड रिसर्च की संबद्धता संदेहास्पद होने के बाद स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना से 117 छात्र-छात्राओं के नाम पर जारी 1.73 करोड़ रुपए के शिक्षा लोन का मामला फंस गया था. 


बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम लिमिटेड ने 117 स्टूडेंट्स के बैंक खाते को फ्रीज करने का आदेश दिया था. इसमें बेगूसराय के 83, समस्तीपुर के 23, मुजफ्फरपुर व दरभंगा के 3-3, सारण के 2, गया, सीवान व मधेपुरा के 1-1 छात्र थे. इनके नाम शिक्षा लोन के तहत 1.14 करोड़, बुक एवं स्टेशनरी व लीविंग एक्सपेंस के नाम पर 59.72 लाख रुपए इनके खाते में भेजे गए थे. इस मामले में आठों जिलों के डीएम पत्र जारी किया गया था. 


इसमें कहा गया था कि 117 छात्र-छात्राओं के नाम शिक्षण शुल्क के रूप में 1 करोड़ 14 लाख 99 हजार 510 रुपए की स्वीकृति दी गई. 25 जनवरी 2020 से इस शिक्षण संस्थान के प्राप्त सभी आवेदन की प्रोसेसिंग पर रोक लगा दी गई. 8 जिलों में 117 स्टूडेंट्स को बुक एवं स्टेशनरी व लीविंग एक्सपेंस मद में 59 लाख 72 हजार 280 रुपए बैंक खातों में भेजे गए थे. 


तत्कालीन निगम के प्रबंध निदेशक ने इन जिलों के डीएम को निर्देश दिया था कि 117 स्टूडेंट्स के बैंक खाते को फ्रीज करने के लिए संबंधित बैंक शाखाओं के मैनेजर आदेश जारी करें. खाता फ्रीज करते समय स्टूडेंट्स के खाते में कितनी राशि है, इसकी जानकारी भी मांगी गई है! वही इस मामले पर जिलाधिकारी रौशन कुशवाहा ने बताया कि अपर सचिव के निर्देशानुसार जांच टीम गठित की जा रही है ताकि अग्रेतर कार्रवाई के लिए जांच प्रतिवेदन भेजा जा सके!

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