विद्यापतिनगर के दियारांचल में बाढ़ की स्थिति भयावह। Samastipur News

पलायन शुरू, रतजगा कर अपने समानों की सुरक्षा में लगे हुए हैं बाढ़ पीड़ित 

                     ( झुन्नू बाबा )

समस्तीपुर ! ज़िले के विद्यापतिनगर प्रखंड के गंगा नदी के जलस्तर में जारी व्यापक वृद्धि ने प्रखंड के दियारांचल वासियों को बेहाल कर दिया है। तीन दिनों से नित्य प्रतिदिन जलस्तर में हो रही बढोतरी ने गंगा की सहायक वाया नदी के किनारे स्थित मऊ धनेशपुर दक्षिण दियारा, शेरपुर ढेपुरा पंचायत के लोदीयाही, बालकृष्णपुर मड़वा पंचायत के तीन वार्ड लोदीयाही, चिड़िया टोंक गांव,



 चक्की पर व बाजिदपुर पंचायत के दादा टोल, नील खेत, दानी टोल आदि के हजारों की आबादी बाढ से प्रभावित हो गयी है। हजारों की संख्या में लोग निकटवर्ती स्कूल, कॉलेज व ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। पिछले एक सप्ताह से घरों में पानी घुसने की वजह से इन्हें अपने समानों की सुरक्षा की चिन्ता भी सताती है।


 बावजूद इसके कुछ बाढ पीड़ित रतजगा कर अपने समानों की सुरक्षा में लगे हुए हैं। स्थिति यह है कि कई बाढ़ पीड़ितों के घर में चूल्हे नहीं जले रहें हैं। धीरे-धीरे बाढ़ की भयावहता की वजह से प्रभावितों के बीच त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।


 स्थिति को देखते हुए प्रभावित परिवारों के विस्थापन का सिलसिला जारी है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय, मऊ दियारा के कमरे में लगभग चार फीट बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। बावजूद प्रशासनिक स्तर पर अब तक नाव, राहत व बचाव कार्य शुरू नहीं किया गया है।


 बाढ़ प्रभावितों ने कहा कि बाढ़ की भयावह स्थिति के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर इसे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित नहीं किया जाना समझ से परे है। प्रशासन को लोगों की सुधि नहीं है। बाढ़ से जहां प्रखंड के चार पंचायतों के एक दर्जन वार्डों के हजारों लोग प्रभावित हुए हैं।


 वहीं दूसरी ओर सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों व बूढों को हो रही है। जलावन, अनाज सहित अन्य आवश्यक घरेलू वस्तुओं की अनुपलब्धता की वजह से बच्चे व बूढे भूख से बेहाल हो रहे हैं। तो पशु चारा के बाढ़ में डूब जाने से माल - मवेशियों को खाना खिलाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।


 राहत शिविर के नहीं होने की वजह से बाढ़ पीड़ितों की स्थिति यायावर जैसी होने लगी है। कभी बांध किनारे, गाछी , सड़क किनारे तो कभी स्कूल परिसर में ये खानाबदोश की तरह जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। लोग सुरक्षा के लिए ऊंचे स्थान की तलाश में हैं।


 वहीं बाढ़ पीड़ित अपनी जानमाल की सुरक्षा को लेकर अपने घर की छतों, खुले आकाश के नीचे शरण लिये हुए हैं। वहीं कई स्थानों पर लोग पूरी रात एक ही चौकी पर बैठकर गुजार रहे हैं। जिनके पास पक्का मकान है उनकी छतों पर आसपास के लोगों ने शरण ले रखी है। सभी सुरक्षित स्थानों की खोज में जुटे हुए हैं।


 बाढ़ पीड़ितों की सबसे महत्वपूर्ण समस्या नित्य क्रियाओं को लेकर है। शौच की समस्या सहित चापाकाल डूब जाने से पीने के लिए शुद्ध जल की परेशानी गंभीर बनी हुई है। 


पूर्व मुखिया श्रीराम राय, अमरनाथ सिंह मुन्ना, कुंदन सिंह आदि ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अविलंब राहत व बचाव कार्य शुरू करने सहित मेडिकल कैंप, चलंत पेयजल आपूर्ति, चलंत शौचालय आदि की व्यवस्था करने की मांग की है। वहीं गुरुवार को जिलाधिकारी रौशन कुशवाहा ने विद्यापतिनगर, मोहिउद्दीननगर एवं मोहनपुर प्रखंड के बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा किया है व पदाधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा है


 कि राहत सामग्री पशु चारे की व्यवस्था युद्ध स्तर पर किया जाये! इघर प्रखण्ड विकास पदाधिकारी महताब अंसारी ने बताया कि बाढ़ को लेकर युद्धस्तर पर तैयारी शुरू कर दी गयी है। नाव की व्यवस्था की जा रही है। जिला से निर्देश मिलते ही बाढ़ पीड़ितों के ठहरने, खाने, शुद्ध पेयजल, दवा आदि की समुचित उपाय किये जाएंगे।

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