बढ़ेगी स्वास्थ्य सुविधाएं 33 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ चाइल्ड एंड मैटरनिटी सेंटर। Samastipur News

झुन्नू बाबा 

निर्मित भवन स्वास्थ्य विभाग को सौंपने की तैयारी,बढ़ेंगी स्वास्थ्य सुविधाएं

समस्तीपुर ! सदर अस्पताल परिसर में करीब 33 करोड़ की लागत से 100 बेड़ों की सुविधा वाला चाइल्ड एंड मैटरनिटी सेंटर बनकर तैयार हो गया है। इसी महीने भवन विभाग इसे स्वास्थ्य विभाग को सौंपने की तैयारी कर रही है। 



इस भवन में अब जल्द ही चाइल्ड एंड मेटरनिटी हॉस्पिटल शुरू हो जाएगी। जहां कुपोषित मां और बच्चों को अब डीएमसीएच और पीएमसीएच जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बेहतर से बेहतर सुविधा सदर अस्पताल में ही उपलब्ध हो जाएगी। 


अभी गंभीर रूप से बीमार मातृ और शिशु को बेहतर उपचार के लिए डीएमसीएच और पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है। इस केंद्र के शुरू होने के साथ ही भवन में स्पेशल चाइल्ड केयर यूनिट के साथ ही , पिकू वार्ड को भी इसी भवन में शिफ्ट किया  जाएगा।


 यहां आईसीयू की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई गई है। इसी भवन में पैथोलॉजी जांच को भी शिफ्ट करने की तैयारी है। सदर अस्पताल के उपाध्यक्ष डॉक्टर नागमणि राज ने बताया कि इस भवन को भवन विभाग आगामी 27 अगस्त को हैंड ओवर कर सकती है।


 भवन में कुछ कमियां है जिसको लेकर सिविल सर्जन को बताया गया है। भवन में नए उपस्कर लगाए जा रहे हैं। जिससे मरीजों को बेहतर से बेहतर सुविधा मिलेगी। 

इस केंद्र में विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। ताकि राउंड की क्लॉक मरीजों का उपचार हो सके। इस सेंटर के शुरू होने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को राहत मिलेगी और वह निजी क्लिनिक के आर्थिक दोहन से बच सकेंगे।


 इसमें मां और नवजात के इलाज से जुड़ी सारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसमें अत्याधुनिक सुविधा, विशेषज्ञ चिकित्सकों के अलावा पैथोलॉजीकल जांच की भी व्यवस्था होगी। इस हॉस्पिटल शुरू होने पर जच्चा-बच्चा को बेहतर इलाज मिल सकेगा, जिससे मौतों की संख्या में कमी आएगी।


 जिले भर में एक माह में औसतन 15 बच्चों की मौत बेहतर उपचार नहीं होने के कारण हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा देखें तो जिले के विभिन्न अस्पतालों में एक माह में औसतन 0 से 5 वर्ष के कम से कम 15 बच्चों की मौत उचित उपचार व  देख रेख  के अभाव में हो जाती है। 


सदर अस्पताल में चाइल्ड एंड मेटरनिटीर सेंटर के खुल जाने से उन बच्चों उपचार देने में सुविधा मिलेगी। मौत का आंकड़ा घटेगा। चुकी अधिकतर मौत रेफर किए जाने के बाद हायर सेंटर पहुंचने के बीच हो जाती है। रेफर किए जाने का झंझट खत्म होने पर लगातार मरीजों का उपचार हो पाएगा।

Previous Post Next Post