एक जुलाई से लागू नए कानून की धाराओं पर मुफस्सिल एवं नगर थाना परिसर में कार्यशाला आयोजित। Samastipur News

झुन्नू बाबा 

समस्तीपुर ! तीन नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, एक जुलाई 2024 से लागू हो रहे हैं। इस संबंध में सोमवार को मुफस्सिल एवं नगर थाना परिसर में जन प्रतिनिधियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है! मुफस्सिल थाना परिसर में थानाध्यक्ष पिंकी प्रसाद एवं नगर थाना परिसर में ट्राफिक डीएसपी आशीष राज के द्वारा नए कानूनों व उसमें बदलाव को लेकर प्रेस वार्ता के माध्यम से जानकारी दी गई।  



उन्होंने कहा कि नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है। अब कोई व्यक्ति संचार के इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से घटनाओं की रिपोर्ट कर सकता है, इसके लिए उसे पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता नहीं है। इससे रिपोर्टिंग आसान और त्वरित होगी, जिससे पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई सुगम होगी।



 वहीं जीरो एफआईआर की सुविधा मिलेगी। जीरो एफआईआर शुरू होने से, कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन पर प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, चाहे उसका क्षेत्राधिकार कुछ भी हो। इससे कानूनी कार्यवाहियां शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और अपराध की तुरंत रिपोर्ट करना सुनिश्चित होगा। 


इसके अतिरिक्त, एफआईआर की निशुल्क प्रति पीड़ितों को प्राप्त होगी, जिससे कानूनी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी। बताया गया कि पीड़ित ई-बयान दे सकते हैं। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाहों, अभियुक्तों, विशेषज्ञों और पीड़ितों की उपस्थिति के लिए ई-अपीरियंस की शुरुआत की गई है। 



'दस्तावेजों' की परिभाषा में सर्वर लॉग, स्थान संबंधी साक्ष्य और डिजिटल वॉयस संदेश को शामिल किया गया है। अब अदालतों में इलेक्टॉनिक साक्ष्य को फिजिकल एविडेंस के बराबर माना जाएगा। कानून के तहत सेकेंडरी एविडेंस का दायरा बढ़ा दिया गया है। इसमें मौखिक एवं लिखित स्वीकारोक्ति और दस्तावेज की जांच करने वाले कुशल व्यक्ति का साक्ष्य शामिल है।

विभिन्न कांडों में गिरफ्तार किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी का विवरण अब पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्रों को महत्वपूर्ण जानकारी आसानी से मिल सकेगी। इसके लिए अलग से एक विशेष पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की जाएगी। वहीं जिले में 7 साल से अधिक सजा वाले मामलों में एफएसएल जांच को अनिवार्य होने को लेकर जिले में एक चलंत एफएसएल पदाधिकारी तैनात रहेंगे। वहीं कोई घटनास्थल पर साक्ष्य एकत्रित करने को लेकर ऑडियो-वीडियो के माध्यम से घटनास्थल की वीडियो रिकॉर्डिंग, वहां मौजूद गवाहों व अन्य लोगों से बात की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। वहीं नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है, ताकि सूचना दर्ज होने के दो महीने के भीतर जांच पूरी हो सके। वहीं नफीस के तहत पुलिस हिरासत अथवा गिरफ्तार आरोपियों का फिंगर प्रिंट रिकॉर्ड के लिए ले सकती है। वहीं गवाहों की सुरक्षा के लिए भी भी प्रावधान किया गया है।बताया गया कि तीन वर्ष से कम सजा वाले मामलों में अगर आरोपी क्षेत्र का प्रभुत्व, गणमान्य अथवा प्रतिष्ठित व्यक्ति है, तो उस मामले में बिना जांच के एफआईआर दर्ज नहीं हो सकेगा। उसमें एफआईआर दर्ज करने की बाध्यता से थानाध्यक्षों को छूट दी गई है। ऐसी स्थिति में एसपी-डीएसपी के निर्देश के बाद ही एफआईआर दर्ज हो सकेगा। नगर थाना पर इस संबंध में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें थानाध्यक्ष आशुतोष कुमार ने बताया कि शिकायतकर्ता घटनास्थल या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति का फिंगर प्रिंट नफीस डेटाबेस में दर्ज किया जाएगा। अपराध के घटनास्थल पर मिलने वाले फिंगर प्रिंट का तुरंत मिलान फिंगर प्रिंट ब्यूरो के द्वारा पूरे देश में गिरफ्तार व्यक्तियों के फिंगर प्रिंट डेटाबेस से किया जा सकेगा। इससे अपराध के निराकरण और अपराधियों को सजा दिलाने में वृद्धि होगी। प्रत्येक पुलिस अधिकारी को स्मार्टफोन और लैपटॉप दिया जाएगा। ताकि आपराधिक घटनास्थल की वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी और पीड़ित व गवाहों के बयान ऑडियो-वीडियो के माध्यम से दर्ज किया जा सके। महिला अपराध की स्थिति में 24 घंटे के भीतर पीड़िता की सहमति से उसकी मेडिकल जांच की जाएगी। साथ ही सात दिनों के भीतर चिकित्सक उसकी मेडिकल रिपोर्ट भेजेंगे। अभियोजन पक्ष की मदद के लिए नागरिकों को स्वयं का कानूनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है। बीएनएस की धारा 396 और 397 में पीड़ित को मुआवजा और पुनर्वास का अधिकार दिया गया है। बीएनएस की धारा 398 के तहत गवाह संरक्षण योजना का प्रावधान है। कानूनी जांच, पूछताछ और मुकदमे की कार्रवाई को इलेक्ट्रॉनिक रूप से आयोजित करने का प्रावधान है। क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के सभी चरणों का डिजिटल रूपांतरण किया गया है, जिनमें ई-समन, ई-नोटिस, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज प्रस्तुत करना और ई-ट्रायल शामिल हैं। तलाशी और जब्ती की वीडियोग्राफी की जाएगी। नए कानून में संगठित अपराध को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। मॉब लिंचिंग करने पर अब दोषियों को मृत्युदंड की सजा मिलेगी। 'राजद्रोह' की जगह 'देशद्रोह' शब्द इस्तेमाल किया गया है, जिसमें भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाली आपराधिक गतिविधि शामिल है। भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा व आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने या किसी समूह में आतंक फैलाने के लिए किए गए कृत्यों को आतंकवादी गतिविधि मानी जाएगी। छीनाझपटी (स्नैचिंग) एक गंभीर और नॉन-बेलेबल (गैर-जमानती) अपराध है। महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध से निपटने के लिए नए आपराधिक कानूनों में 37 धाराओं को शामिल किया गया है। पीड़ित और अपराधी दोनों के संदर्भ में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है। 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करने पर दोषी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा मिलेगी। झूठे वादे या नकली पहचान के आधार पर यौन शोषण करना अब आपराधिक कृत्य माना जाएगा। चिकित्सकों के लिए 7 दिनों के अंदर बलात्कार पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट जांच अधिकारी के पास भेजना अनिवार्य है। मौके पर नगर थानाध्यक्ष आशुतोष कुमार, ट्रैफिक थानाध्यक्ष सुनील कांत सिन्हा, प्रशिक्षु एसआई पम्मी तिवारी, प्रताप कुमार सिंह, इक़रार फारूकी, अमर प्रताप सिंह, समेत राहुल कुमार, अनस रिज़वान, एजाजुल हक नन्हे, समेत दर्ज़नो जन प्रतिनिधि मौजूद थे !

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