सुमन आनंद
संविदा विस्तार मामले में जिला प्रशासन ने 24 घंटे के अंदर मांगी पिछले 7 महीने की रिपोर्ट
समस्तीपुर ! लिपिक एवं एएनएम का अवैध रूप से संविदा विस्तार करने के मामले में समस्तीपुर सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी पूरी तरह से फंस चुके हैं। सिविल सर्जन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। संविदा विस्तार मामले में स्पष्टीकरण के बाद अब जिला प्रशासन ने उनसे पिछले सात महीनों में उनके (सीएस) कार्यालय से भेजे गए संविदा नियोजन/संविदा अवधि विस्तार से सम्बंधित सभी प्रस्तावों की पूरी रिपोर्ट मांगी है। स्थापना उपसमाहर्ता के द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि आपके कार्यालय से संविदा नियोजन/संविदा अवधि विस्तार हेतु अनुशंसा के साथ प्रस्तावों को उपलब्ध कराया जाता है। एएनएम का पद राज्य स्तरीय रहने के बावजूद भी आपके द्वारा उक्त पद पर संविदा नियोजन/संविदा अवधि विस्तार के लिए प्रस्ताव इस कार्यालय को उपलब्ध कराया गया है। इसलिए आपके कार्यालय से विगत 7 माह में उपलब्ध कराये गये प्रस्तावों में एएनएम के अतिरिक्त कोई भी पद राज्य स्तरीय है
अथवा नहीं इससे सम्बंधित प्रतिवेदन 24 घंटे के अन्दर उपलब्ध करवाया जाए। यहां बता दें कि अवैध रूप से संविदा विस्तार किये जाने के मामले की शिकायत को जिलाधिकारी ने गंभीरता से लिया है। गोपगुट महासंघ के जिला सचिव अजय कुमार ने जिलाधिकारी से इस मामले की शिकायत की थी। शिकायत के बाद आपदा एडीएम राजेश कुमार सिंह के द्वारा किए गए जांच के दौरान संविदा विस्तार व नियोजन को अवैध पाया गया था। जांच में पाया गया था कि विभाग के जिस निर्देश का हवाला दिया गया, उक्त अनुसूची में स्वास्थ्य विभाग के लिपिक का उल्लेख ही नहीं है। जिस वजह से उक्त शर्तें लिपिक के संविदा विस्तार पर प्रभावी नहीं माना जायेगा। इसमें केवल एक वर्ष के लिए ही संविदा नियोजन किया जाएगा। संविदा लिपिक रमेश प्रसाद एवं राम नंदन कुमार रजक को पूर्व में एक वर्ष के लिए नियोजन किया जा चुका है। तो फिर जिला चयन समिति की बैठक में संविदा अवधि विस्तार किया जाना विधि सम्मत नहीं है। जिला चयन समिति के द्वारा सीएस के अनुशंसा के आलोक में एएनएम कर्मियों का संविदा नियोजन किया गया है। यह अवधि विस्तार पूर्व की तरह जिला स्तरीय गठित समिति के द्वारा किया गया है। परंतु स्वास्थ्य निदेशालय के निर्देश के आलोक में एएनएम का पद अब राज्य स्तरीय हो चुका है। इसमें एएनम के संविदा नियोजन हेतु सामान्य प्रशासन के अधीन गठित समिति का अनुशंसा प्राप्त किया जाना होता है। इसलिए एएनएम का किया गया संविदा नियोजन भी विधि सम्मत नहीं है।