झुन्नू बाबा
समस्तीपुर ! रिलायंस जेवल्स डकैती कांड के 34 दिनों के बाद भी पुलिस खुलासा कर पाने में नाकाम साबित हुई है। इस भीषण डकैती में संलिप्त अपराधियों को पकड़ पाना तो दूर, पुलिस अभी तक यह नहीं पता लगा पायी है कि इस घटना को जिले के अपराधियों ने अंजाम दिया है या बाहर के किसी संगठित गिरोह ने स्थानीय अपराधियों की लाइजनिंग पर अंजाम दिया है। हालांकि पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर अब तक 100 से अधिक जगहों पर छापेमारी की है। अलग-अलग क्षेत्रों से 42 संदिग्धों को उठाकर पूछताछ की गई है, लेकिन बावजूद इसके पुलिस को घटना के संबंध में कोई भी सुराग हाथ नहीं लग पाया है। पुलिस सूत्रों को घटना में संलिप्त अपराधियों की देर-सवेर गिरफ्तारी का भरोसा है, हालांकि वह यह भी बताते हैं कि लूट के सोने की बरामदगी की सम्भावना काफी कम है।
क्योंकि इतने दिन गुजरने के बाद लूट के सोने को अपराधी गिरोह के द्वारा खपा देने की अधिक संभावना है। पुलिस अब विभिन्न राज्यों में सोना लूट की बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम देने वाले संगठित आपराधिक गिरोह के सरगनाओं से पूछताछ के बाद अब छोटे-मोटे गिरोहों पर अपना ध्यान केंद्रित कर उसे पकड़ने में जुटी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस जिले के दलसिंहसराय, विभूतिपुर, बेगूसराय के नावकोठी व वैशाली के महुआ के अपराधियों के सहारे वह अपराधी गिरोह तक पहुंचना चाहती है। हालांकि पुलिस यहां भी अंधेरे में तीर चला रही है। ताकि कहीं धोखे से भी तीर निशाने पर लग जाए। वहीं जिले में पदस्थापित नया पुलिस पदाधिकारी के लिए यह कांड सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने जैसा है। संबंधित पुलिस पदाधिकारी गाहे-बगाहे इसकी चर्चा भी करते रहते हैं। वहीं पुलिस सूत्रों ने संभावना व्यक्त करते हुए बताया कि इस घटना में एक भी अपराधी के गिरफ्तार होने के बावजूद भी पूरे गिरोह का खुलासा हो पाना संभव नहीं दिखाई जान पड़ता है। क्योंकि अपराधियों ने पूरी प्लानिंग के साथ घटना को अंजाम दिया है और ज्यादा संभावना है कि अपराधी फेक अथवा कोड नेम से एक-दूसरे को पहचानते हों, ताकि पकड़े जाने पर वह दूसरे किसी सदस्य के पहचान के सम्बन्ध में पुलिस को कुछ नहीं बता सके।बताया जाता है कि लूट मामले का खुलासा करने के लिए पूर्व के तेजतर्रार पदाधिकारी जिनका तबादला दूसरे ज़िले हो चुका है उनसे भी सहयोग लिया गया पर कहावत ढाक के तीन पात चरितार्थ हो रहा है !