( झुन्नू बाबा )
समस्तीपुर :- क्राइम कंट्रोल में तीसरी आंख की जरूरत को देखते हुए शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर जनसहयोग के द्वारा लगाया गया सीसीटीवी कैमरा वर्षों से खराब है। जनसहयोग से 63 व प्रचार एजेंसी द्वारा के 32 कैमरे लगाए गए थे। जिसमें से दो-चार कैमरों को छोड़ दें तो अधिकतर कैमरा खराब पड़ा है। कई स्थानों से तो कैमरा गायब भी हो गया है। शहर में क्राइम होने पर पुलिस निजी मकान व दुकानों पर लगी सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के लिए कैमरा धारक के यहां दौड़ लगाती है। बावजूद खुद की मदद के लिए लगाए गए कैमरों को ठीक कराने की दिशा में रुचि नहीं लेती। जिसका लाभ बदमाशों को मिल रहा है।
28 फरवरी की देर शाम शहर के मोहनपुर रोड स्थित रिलायंस ज्वेलर्स लूटकांड मामले को लेकर पुलिस जगह-जगह घरों व दुकानों पर लगे सीसीटीवी फुटेज के लिये दौड़ लगा रही है। निजी सहयोग से लगे थे 63 कैमरा ! करीब सात-आठ वर्ष पूर्व तत्कालीन थानाध्यक्ष एचएन सिंह के प्रयास से शहर में जनसहयोग कर स्टेशन चौक, मारवाड़ी बाजार, गोलारोड, बहादुरपुर, मालगोदाम चौक, दुर्गा स्थान चौक, काशीपुर, मोहनपुर समेत कुल 63 स्थानों पर सीसीटीबी कैमरा लगाया गया था। जो बेगूसराय की एक कंपनी के द्वारा कार्य किया गया था। कैमरे का मेनटेनेंस कंपनी को करना था। बताया गया है उस समय कंपनी का करीब ढाई लाख रुपए बकाया रह गया था।
जिस कारण जब कैमरा खराब होने लगे तो उसकी मरम्मत नहीं हुई। एक-एक कर सभी कैमरा बंद हो गया। चर्चा है कि इस दौरान कंपनी के कर्मी बकाया पैसा का तगादा करते रहे। इस बीच एचएन सिंह का स्थानांतरण हो गया। बाद में आने वाले थानेदार ने पैसा देने से मना कर दिया। कहा जाता है उसके बाद कंपनी के कर्मी कई स्थानों से उक्त कैमरों को खोल कर ले गए। यूनीपोल नामक प्रचार कंपनी ने भी लगाए थे 32 कैमरे ! बाद के दिनों में नगर परिषद के साथ समन्वय कर दरभंगा की यूनीपाेल नामक प्रचार कंपनी ने शहर के विभिन्न सड़कों में लगाए गए प्रचार होडिंग के बीचों-बीच 32 स्थानों पर कैमरा लगाया।
आज की तारीख में एक-दो कैमरा को छोड़ दें तो अधिकतर कैमरा खराब हो गया है।बीते 28 फरवरी को मोहनपुर रोड स्थित रिलायंस ज्वेलर्स में हुए लूट मामले में पुलिस ने कई जगहों पर सीसीटीवी फुटेज खंगाले है। इसमें अधिकांश प्राइवेट संस्थानों के कैमरों के फुटेज लिए गए है, लेकिन पुलिस को अभी तक कोई भी ठोस सुराग नहीं मिल सका है। इसके अलावा शहर में बाइक चोरी, चेन स्नेचिंग जैसे मामले में पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों तक पहुंचती है, लेकिन प्रमुख लोकेशनों के कैमरा बंद होने पर ट्रैस करना मुश्किल होता है। बीते कई वर्षों से बंद सीसीटीवी कैमरों को सुधार के लिए पुलिस विभाग कोई प्रयास नहीं कर रहा है।