झुन्नू बाबा
समस्तीपुर ! उच्च शिक्षा में सुधार को लेकर अब शिक्षा विभाग गंभीर रूप अख्तियार कर रहा है । बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उच्च शिक्षा निदेशक डॉ रेखा कुमारी के द्वारा कई तरह के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं । लगातार तीन दिन अनुपस्थित रहने वाले छात्रों का नाम काटने के साथ ही 75% उपस्थित नहीं होने पर एडमिट कार्ड नहीं देने का फरमान जारी किया गया है । उच्च शिक्षा निदेशक के इस आदेश के बाद कॉलेज में छात्रों की उपस्थिति बढ़ गई है । लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और संसाधन के अभाव में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है ।
समस्तीपुर के सबसे पुराने महाविद्यालय समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर की स्थिति जान लीजिए । इस महाविद्यालय में विज्ञान और कला संकाय की पढ़ाई होती है । यहां यूजी और पीजी में कुंल 11675 छात्र - छात्राएं नामांकित है । जबकि इंटर में 2048 बच्चे पढ़ते है । शिक्षकों की बात करें तो इस महाविद्यालय में शिक्षक के 108 पद सृजित है । जबकि वर्तमान में सिर्फ 51 शिक्षक कार्यरत है। इस महाविद्यालय में ए आई एच विषय मे करीब 150 छात्र , और मैथिली विषय मे 7 छात्र है लेकिन इन विषयों में एक भी शिक्षक नही है । बॉटनी सब्जेक्ट में यूजी और पीजी मिलाकर सिर्फ एक शिक्षक है । अन्य विभागों की स्थिति में बहुत अच्छी नही है । यूजी और पीजी दो से चार शिक्षकों के भरोसे चल रहे है । महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बिरेंद्र कुमार चौधरी का बताना है कि उच्च शिक्षा निदेशक के आदेश में 25 बच्चो का नाम काटा गया है , जबकि 7 बच्चों को शो कॉज नोटिस दिया गया है । छात्रों की उपस्थिति को लेकर जारी निर्देश को प्राचार्य सही ठहरा रहे है , लेकिन उनका कहना है कि महाविद्यालय में क्लास रूप और शिक्षकों की घोर कमी है । शत प्रतिशत उपस्थिति होने पर बच्चों को बैठने की जगह भी उपलब्ध नही हो सकेंगी । दूसरा बड़ा कारण विश्वविद्यालय के द्वारा कॉलेज में नामांकन की केंद्रीय प्रक्रिया है । इसके कारण मधुबनी , दरभंगा , बेगुसराय जिले के बच्चों को समस्तीपुर जिले में दाखिला लेना पड़ रहा है । ऐसे में आर्थिक रूप में कमजोर बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है ।
प्रचार्य का कहना है कि महाविद्यालय के स्थापना के समय जो पद सृजित किये गए थे । उसमें बढ़ोतरी करना तो दूर जो पद खाली हुए उसपर भी नए शिक्षकों की बहाली नही की गई ।
वंही कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र - छात्राएं उपस्थित को लेकर जारी आदेश को तो सही बता रहे है । लेकिन उनका कहना है कि कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों का अभाव है । इस महाविद्यालय में कई विषयों में शिक्षक नहीं है । क्लासरूम के साथ साथ मूलभूत सुविधाओं का आभाव है । दूर दराज के महाविद्यालय में नामांकन मिलने के कारण उन्हें रेगुलर क्लास अटेंड करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।