समस्तीपुर: ट्रेन का एक पहिया टूटा होने के बावजूद भी 15 किलोमीटर तक चली पवन एक्सप्रेस। Samastipur News

झुन्नू बाबा 

समस्तीपुर ! ट्रेन का एक पहिया टूटा होने पर भी पवन एक्सप्रेस करीब 15 किमी. तक चलती रही। मामला पूर्व मध्य रेल के  भगवानपुर रेलवे स्टेशन का है। वहीं इस घटना के बाद इसके पीछे की वजह को लेकर उत्सुकता देखने को मिल रही है। अब सवाल यह उठने लगा है कि क्या ट्रेन के खुलने से पहले ही उसमें समस्या थी या फिर स्टेशन से निकलने के बाद गड़बड़ी पाई गई। 

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किसी भी स्टेशन से ट्रेन के खुलने से पहले उसके कोचों की कैसे जांच की जाती और इसके डिपार्चर होने से पहले के क्या प्रोसेस हैं। किसी भी ट्रेन को डिपार्चर करने से पहले उसके कोचों को कोच वॉशिंग प्लांट पर लाया जाता है। सबसे पहले सफाई कर्मियों द्वारा कोच की सफाई के बाद उसके हर पार्ट की धुलाई की जाती है। 

कैरेज एंड वैगन विभाग के कर्मियों के अलावा इलेक्ट्रिक, इंजीनियरिंग समेत अन्य विभागों के टेक्नीशियन द्वारा चक्के से लेकर बिजली के वायर और एक-एक नट बोल्ट की जांच की जाती है। पूरी प्रक्रिया में कम से कम 8 घंटे का समय लगता है। जब वॉशिंग प्लांट के कर्मी खुद संतुष्ट हो जाते हैं कि इन कोचों का परिचालन किया जा सकता है, तो इन कोचों को फिट करार दिया जाता है। इसके बाद दूसरे इंजन से खींचकर प्लेटफार्म तक ले जाया जाता है, जहां इंजन में जोड़े जाने के बाद इसका परिचालन होता है। समस्तीपुर रेल मंडल के समस्तीपुर वाशिंग प्लांट के कर्मियों ने बताया कि पवन एक्सप्रेस को जयनगर से खोले जाने से पहले उसकी जांच हुई होगी। वहां के कर्मियों ने जांच पूरी करने के बाद ही कोचों को फिट घोषित किया होगा। इसके बाद ही ट्रेन का परिचालन हुआ होगा। यह संभव है कि जयनगर से ट्रेन खुलने के बाद गड़बड़ी आई होगी। अगर बिना जांच किए ही फिट सर्टिफिकेट दिया गया होगा, तो यह बहुत बड़ी गलती मानी जाएगी। ऐसी गलती की सजा रेल कर्मियों को नौकरी गवांकर चुकानी होती है। रेलवे सूत्रों के अनुसार, एक समय के बाद बोगी के चक्के में बकलिंग की समस्या आती है तो उस चक्के को कारखाना में ले जाकर घिसे हुए पार्ट की एक मशीन से कटाई कर प्लेन किया जाता है। अगर यह प्रक्रिया समय अवधि के अंदर नहीं हो तो इस तरह की समस्या हो सकती है। हालांकि कर्मचारियों ने यह भी कहा कि वाशिंग पिट में जांच के दौरान ही यह समस्या दिख जाती है। इस ट्रेन से जयनगर दरभंगा और समस्तीपुर से औसतन हजार से 1200 यात्री रोजाना सफर करते हैं।

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