झुन्नू बाबा
• ओपीडी में कई डॉक्टर्स के नहीं पहुचने के कारण मरीजों को हो रही परेशानी
• मरीज का इलाज नहीं भीड़ निपटारा ही बना स्वास्थ्य प्रशासन का मुख्य उद्देश्य
समस्तीपुर : लाख कोशिशों के बाद भी सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है. खासकर ओपीडी व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है. संध्याकालीन ओपीडी से तो अक्सर डॉक्टर गायब ही रहते थे, अब प्रातःकालीन ओपीडी से भी डॉक्टरों ने गायब रहना शुरू कर दिया है. कुछेक डॉक्टर को छोड़ दिया जाय तो अधिकतर डॉक्टर दोनों सत्र के सात घंटे की ओपीडी में
बामुश्किल तीन घंटे भी मरीजों को समय नहीं देते हैं. गुरुवार की सुबह भी करीब सवा दस बजे तक ओपीडी के कई विभाग में डॉक्टर नहीं पहुंचे थे. चेम्बर में नर्स एवं मरीजों की भीड़ लगी थी, लेकिन डॉक्टर की कुर्सी खाली पड़ी थी. जिस वजह से मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. ओपीडी के सामान्य विभाग, सर्जरी एवं नेत्र रोग विभाग में सवा दस बजे तक डॉक्टर के नहीं पहुंचने के कारण कई मरीज वापस लौट गये. सर्जरी एवं सामान्य विभाग के कुछ मरीज थक हार कर शिशु रोग विभाग में डॉक्टर से परामर्श लेकर लौट गए.
यहां बता दें कि सुबह सिर्फ स्त्री रोग विभाग, शिशु रोग, चर्म/दंत रोग विभाग में ही डॉक्टर मौजूद थे. इन विभागों से गायब थे डॉक्टर :सामान्य विभाग, सर्जरी एवं नेत्र रोग विभाग में चिकित्सक ना तो पहुंचे थे और ना ही स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था ही की गयी थी. जानकार अस्पताल सूत्रों की मानें तो नेत्र रोग विभाग के चिकित्सक डॉ पवन कुमार ट्रेनिंग में गये हुए हैं,
उनके स्थान पर ओपीडी में किसी डॉक्टर को नहीं लगाया गया था. सर्जरी विभाग के ऑन ड्यूटी डॉक्टर पीडी शर्मा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने मंगलवार की रात इमरजेंसी ड्यूटी की थी. वहीं सामान्य विभाग के डॉक्टर राजीव झा काफी बिलंब से ओपीडी पहुंचे! इलाज नहीं भीड़ निपटारे में जुटा स्वास्थ्य प्रशासन :
सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीजों का इलाज नहीं बल्कि भीड़ निपटारा ही स्वास्थ्य प्रशासन का मुख्य उद्देश्य होता है. यहां विशेषज्ञ चिकित्सक भी नीम हकीम के तरह हर मर्ज का एक इलाज कर भीड़ को निपटाने में लगे होते हैं. अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां जिला अस्पताल की ऐसी स्थिति है वहां के सुदूरवर्ती प्रखंडों में स्थित सरकारी अस्पताल की क्या स्थिति होगी.वहीं सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड का तो और ही बुरा हाल है, इमरजेंसी वार्ड के डॉक्टर ड्यूटी रोस्टर के हिसाब से ड्यूटी नही करते हैं, कुछ पैसे देकर एक मात्र डॉक्टर संतोष झा से अपनी डयूटी करवाते हैं,
डॉ संतोष झा का इमरजेंसी वार्ड में रोस्टर के हिसाब से सोमवार को सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक पर वो दूसरे डॉक्टर की डयूटी दोपहर 2 बजे से शाम 8 बजे फिर शाम 8 बजे से सुबह 8 बजे तक फिर मंगलवार 8 बजे से दोपहर दो बजे तक डयूटी करते हैं! इसके बाद फिर इनकी ड्यूटी रोस्टर के हिसाब से शुक्रवार को सुबह 8 बजे से दोपहर तक है पर डॉ संतोष झा शुक्रवार को सुबह 8 बजे से लेकर अगले दिन शनिवार को दो बजे तक डयूटी करते दिखाई देते हैं! आखिर क्या कारण है कि डॉ संतोष झा लगातार 96 घंटे इमरजेंसी वार्ड में डयूटी करते हैं! सूत्र ने बताया कि डॉ संतोष झा के लगातार डयूटी करने का एक मात्र लक्ष्य पैसा कमाना बताया जाता है, मारपीट से लेकर सड़क दुर्घटना,जैसे मामलों में ओडी व फर्द बयान तक को ये मोटी रकम में पीड़ित से डील करते है जिसमे इमरजेंसी वार्ड के सभी कर्मियों की मिलीभगत होती है!वहीं सभी मामलों में पूछे जाने पर सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ गिरीश कुमार बताते हैं कि नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ पवन कुमार ट्रेनिंग में गये हुए हैं, उनके स्थान पर डॉ मेराज को ओपीडी संभालने को कहा गया था. सर्जरी वाले डॉक्टर रात में इमरजेंसी ड्यूटी किये थे एवं सामान्य ओपीडी के डॉक्टर राजीव झा से इसको लेकर पूछा गया तो उन्होंने कुछ देर के लिए ओपीडी छोड़कर जाने की बात कही है. वैसे इस मामले की जांच कर नियमानुकूल कार्रवाई की जायेगी!वहीं गुरुवार को सेकंड शिफ्ट में एक मात्र डॉक्टर दंत चिकित्सक डॉ जुनैद अख्तर ओपीडी के अपने कक्ष में मरीज़ों का ईलाज़ करते मिले बाकी सभी कक्ष में दूर दराज से आये मरीज डॉक्टरों की प्रतीक्षा करते दिखे,दूसरी ओर ओपीडी में पुर्जा काउंटर पर सरायरंजन से आये एक मरीज से कर्मी ने दो रुपये की जगह 20 रुपये की मांग किया और 20 रुपये ले भी लिया गया, इस बाबत पूछे जाने पर सिविल सर्जन डॉ संजय कुमार चौधरी ने बताया कि मरीजों से अधिक पैसा लिए जाने के मामले का जाँच कराकर शख्त कार्रवाई किया जायेगा!