झुन्नू बाबा
शाही ईमाम मुफ्ती इफ्तेखार आलम कासमी ने कहा जिस तरह गुलाब की सैकड़ों किस्म है और सबकी अलग अलग खूबी है उसे से हम खत्म नहीं कर सकते ठीक उसी तरह भारत की विभिन्न संस्कृति है और सबकी अलग अलग खूबी है उसे भी हम खत्म नहीं कर सकते हैं।
समस्तीपुर ! पूरे मुल्क में बकरीद का त्यौहार अमन और शांति तरीकों से मनाया गया।इस मौके पर शाही ईदगाह बेगमपूर के शाही ईमाम मुफ्ती इफ्तेखार आलम कासमी ने बकरीद की नमाज़ से पहले तकरीर करते हुए कहा के ये कुर्बानी हज़रत इब्राहीम व हज़रत इस्माइल की सुन्नत है। वहीं उन्होंने आगे कहा के अल्लाह व ईश्वर अपने तमाम इंसानों की जान, माल,दौलत व संतान देकर करता है क्योंकि ये उसी अल्लाह व ईश्वर की अमानत है।
आगे उन्होंने कहा के हज़रत इब्राहीम जो अल्लाह के चहीते पैगंबर व दूत थे उनको बुढ़ापे में औलाद देकर उनका इम्तेहान लिया जो आज कुरबानी के नाम से प्रचलित है ये हज और जानवर की कुर्बानी उन्हीं की सुन्नत है। जिसमें अल्लाह ने हज़रत इब्राहीम से परीक्षा के तौर पर उनके पुत्र की कुर्बानी मांगी जिसके लिए हज़रत इब्राहीम तैय्यार हो गए और हज़रत इस्माइल के गर्दन पर छुरी चलाई लेकिन अल्लाह ने हज़रत जिबरील के माध्यम से दुम्बा भेजा और ज़बा करवाया और इस तरह हज़रत इब्राहीम अपने परीक्षा में सफल हो गए।शाही ईमाम ने आगे कहा अल्लाह उनसे कई बार परीक्षा लिया और सब में सफल होते गए।उन्होंने कहा अल्लाह के पास जानवर का न ही गोश्त जाता है और नहीं कुछ अल्लाह बस नियत और तकवा देखता है।
वहीं शाही ईमाम मुफ्ती क़ासमी ने आगे अपने तकरीर में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कहा के ये यूनिफार्म सिविल कोड देश की गंगा जमुनी तहज़ीब को खत्म कर देगा।हमारे मुल्क का संविधान सबको बराबरी का हिस्सा देता है लेकिन ये भी संविधान में साफ तौर पर लिखा हुआ है के सब को अपनी संस्कृति रीति रिवाज व तौर तरीकों से चलने का अधिकार है जो यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने के पश्चात खत्म हो जाएगा।शाही ईमाम ने आगे कहा के सब मज़हब की अपनी अपनी संस्कृति है और सबकी अपनी अपनी खूबी है जो भारत की गंगा जमुनी तहज़ीब को मजबूत करता है।मुफ्ती इफ्तेखार कासमी ने आगे अपनी तकरीर में उदाहरण देते हुए कहा के जिस तरह अगर गुलाब की 32 किस्म है तो उसके प्रकार को हम खत्म नहीं कर सकते क्योंकि सबकी अलग अलग पहचान है और सब गुलाब ही है।उसी तरह किसी भी मज़हब की आज़ादी को छीना नहीं जा सकता है।सबकी अपनी अपनी खूबी है और इस खूबी को समेट कर दुनिया का इकलौता देश भारत है जो वर्षों से संभाल कर रखा हुआ है उन्होंने ने आवाम से अपील करते हुए कहा के इस कानून का विरोध करना होगा इससे सिर्फ मुस्लिमों को ही नुकसान नहीं है बल्कि सभी धर्मों के मानने वालों को इसका नुकसान सहना पड़ेगा क्योंकि हिंदुस्तान एक फुलवारी है जिसमें सैकड़ों किस्म के फूल खिलते और खुशबू देते हैं इसलिए इन फूलों की हिफाज़त करना इस फुलवारी के रखवाले का काम है ।उन्होंने कहा के 22वीं लॉ कमीशन ने आवाम से सीधे तौर पर राय मांगा है जिस पर मुस्लिमों की विभिन्न संघटन इमारत शरिया, इदारे शरिया व मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस कानून के विरोध में लॉ कमीशन के पास डायरेक्ट अपनी बात रखने के लिए एक लिंक तैयार किया है जिसके माध्यम से हम अपनी बात लॉ कमीशन तक पहुंचा सकते हैं और अवाम से अपील की के जल्द से जल्द इस मुहिम का हिस्सा बनिए।वहीं मस्जिदों के इमाम से भी अपील की गई है इस मुहिम की जानकारी आप जुमा के खुतबा में ज़रूर दे।आगे उन्हों ने कहा के दुनिया की कानून बदल सकती है लेकिन अल्लाह की कानून नहीं लिहाजा इस कानून को रद्द करना ही होगा। अगर इस काले कानून को रद्द नही किया गया तो देश मे बहुत बड़ा आंदोलन होगा जिसको संभालना हुक्मरानों को बड़ी मुश्किल होगा !