समस्तीपुर अस्पताल के लिपिक पर पूर्व कर्मचारी से रिश्वत मांगने का आरोप, वीडियो वायरल।>> Samastipur City

झुन्नू बाबा 


समस्तीपुर :- समस्तीपुर सदर अस्पताल इन दिनों लगातार चर्चा में बना हुआ है। बीते अंतराल पर कोई ना कोई बड़ा विवाद या किसी मामले का वीडियो वायरल होते रहता है। हाल ही में यहां एक पोस्टमार्टम कर्मी ने कथित तौर पर एक व्यक्ति से रुपये मांगे तो वह घर-घर जाकर भीख मांगने लगा। उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और फिर राज्यभर में हंगामा मच गया। वहीं डीएस और नर्स विवाद को लेकर भी सदर अस्पताल चर्चा में बना रहा। अब इसी अस्पताल के एक लिपिक पर रिश्वत मांगने का आरोप लगा है। उसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। हालांकि समस्तीपुर के सीएस ने इसे निराधार बताया है।





खबर के मुताबिक रिटायर्ड क्लर्क का नो ड्यूज प्रमाण पत्र जारी करने की एवज में समस्तीपुर अस्पताल के लिपिक ने कथित तौर पर नजराना मांगा। रिटायर्ड लिपिक का नाम दिलीप कुमार सिंह है। उन्होंने आरोप लगाया है कि नो ड्यूज सर्टिफिकेट देने की एवज में सदर अस्पताल के लिपिक मनोज कुमार ने उनसे रिश्वत मांगी। 


उनका वीडियो सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि रिटायरमेंट के बाद उन्हें नो ड्यूज प्रमाण पत्र नहीं मिला है। इसके एवज में उनसे नजराना मांगा जा रहा है। इस संबंध में दिलीप सिंह ने बताया कि सिविल सर्जन को भी कई बार इसके लिए पत्र लिखा। इसके बावजूद उन्हें नो ड्यूज प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। 


दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि वे 31 दिसंबर 2021 को रिटायर हुए। सोशल मीडिया पर उक्त मामले का वीडियो वायरल होते ही एक बार फिर स्वास्थ्य महकमा फिर से चर्चा में आ गया है।


मनोज कुमार बोले- बदनाम करने की साजिश


दूसरी ओर, सदर अस्पताल के लिपिक मनोज कुमार ने बताया कि उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोप गलत, निराधार और राजनीतिक प्रेरित हैं। दिलीप कुमार का एक भी रुपया बकाया नहीं है तो फिर किस एवज में उनसे राशि मांगी गई है। नो ड्यूज प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि भी उन्हें उपलब्ध करा दी गई। साथ ही इसकी प्रतिलिपि जिलाधिकारी को भी भेज दी गई है। यह एक सोची समझी राजनीति के तहत विभाग को एवं उन्हें बदनाम करने की साजिश है।


समस्तीपुर के सीएस डॉ. एसके चौधरी का कहना है कि वायरल वीडियो की जानकारी उन्हें नहीं है।  सेवानिवृत्त कर्मी का आरोप निराधार है। सेवानिवृत्ति के बाद उनकी सभी बकाया राशि का भुगतान भी कर दिया गया है। नो ड्यूज प्रमाण पत्र की कॉपी भी कोषागार को उपलब्ध करा दी गई है। इसके आधार पर उन्हें पेंशन का ही भुगतान किया जा रहा है।

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