शहर का एकमात्र आरओबी रोड ओवर ब्रिज आज बुरी तरह से जर्जर हो चुका है। तीन, चार पहिया सहित बड़े वाहनों का शहर में प्रवेश बाद दरभंगा जाने के लिए यह एकमात्र विकल्प है। 45 साल पुराने हो चुके इस पुल पर सैकड़ों की संख्या में पौधे उग आए हैं जो धीरे-धीरे वृक्ष बनते जा रहें। इसकी जड़े धीरे-धीरे पुल को जर्जर बनाती हुई कमजोर कर रही हैं। जिसका नतीजा है कि करीब डेढ़ साल पूर्व एक ट्रैक्टर की रेलिंग में लगी ठोकर से रेलिंग टूटा व ट्रैक्टर नीचे गिर आया। हादसे में चालक की मौत भी हुई थी।
इसके बावजूद इसे आजतक नहीं बनाया गया। वहीं पुल पर मौजूद रेलिंग के 428 खंभों में 70 फीसदी कमजोर हो चुके हैं। कचहरी के मुहाने पर कई खंभे नहीं हैं। वहीं इन खंभों पर मौजूद 80 फीसदी रेलिंग जर्जर होकर टूटकर गिरने लगी है। बताया गया कि इस पुल का उद्धाटन 20 दिसंबर 1977 को निवर्तमान पीडब्लूडी मंत्री अनुप लाल यादव ने किया था।
45 साल पुराने इस पुल का मामला कोर्ट में था। जिस पर रेलवे ने ओथ लिया है। इसकी जांच कर मरम्मती के निर्देश को लेकर पांच माह पूर्व कमेटी बनी है मगर अभी तक इसकी न जांच हुई है न ही मरम्मती शुरू हुई है। यह खतरनाक व बड़े हादसे को न्योता देने वाला बन चुका है।
शहर के आरओबी के मामले में कोर्ट में मामला चल रहा था। रेलवे ने इसमें ओथ लिया है। उनके माध्यम से ही इसकी मरम्मती कार्य की पहल की जाएगी। पुल निर्माण ही इतने बड़े पुल का कार्य करती है। हमारी ओर से बीते वर्ष कालीकरण का कार्य किया गया था।
-उदय शंकर सिंह, ईई, आरसीडी, समस्तीपुर
रेलवे हमेशा आरओबी के अपने हिस्से की मरम्मत व रंग-रोगन कराता रहा है। अन्य हिस्सों के जर्जर होने की स्थिति में हमेशा से जिला प्रशासन देखते अाया है। इस मामले में रेलवे की भूमिका को लेकर अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी।
-आलोक अग्रवाल, डीआरएम, समस्तीपुर