समस्तीपुर : कृषि विश्वविद्यालय में विभिन्न तकनीकों मार्केटिंग समेत छह एमओयूआर करार किया गया।>> Samastipur City

 कृषि विश्वविद्यालय में विभिन्न तकनीकों मार्केटिंग समेत छह एमओयूआर करार किया गया



समस्तीपुर ! डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति डा रमेश चन्द्र श्रीवास्तव की उपस्थिति में मंगलवार को विश्वविद्यालय के विभिन्न तकनीकों की मार्केटिंग समेत छह एम ओ यू पर हस्ताक्षर किये गये। समारोह में बोलते हुये डा श्रीवास्तव ने कहा कि वे चाहते हैं कि किसानों को नयी तकनीक मिले तथा युवाओं को कृषि एवं इससे संबंद्ध क्षेत्र में समुचित डिसेंट रोजगार मिले। इसके लिये विश्वविद्यालय ने तकनीकें विकसित की है । 





इन्हीं तकनीकों को लोगों तक पहुंचाने के लिये मंगलवार को छह समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसमें से दो समझौता आन लाइन माध्यम से जबकि चार विश्वविद्यालय के कुलपति सभागार में किया गया है। डा श्रीवास्तव ने बताया कि पहले समझौता बिजली चालित ओखली से संबंधित है जिसके लिए मेसेर्स बिनोद इंजीनियरिंग के साथ समझौता किया गया है। खाद्य पोषण सुरक्षा के मद्देनजर विश्वविद्यालय द्वारा कुलपति डा श्रीवास्तव के नेतृत्व में छोटे अनाजों के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिये बिजली चालित ओखली विकसित की गई है। इस समझौते से ओखली के व्यावसायिक उत्पादन को बढावा मिलेगा। विश्वविद्यालय इस ओखली का पेटेंट कराने को लेकर भी सक्रिय पहल कर रहा है। 


दूसरा  समझौता बिहार के अरबी ( सब्जी) के फसल के उत्पादकों का श्रमिक पर निर्भरता कम करने के लिये उन्नत मशीन के उत्पादन एवं व्यवसायीकरण हेतु कुशवाहा एग्रीकल्चर प्राइवेट लिमिटेड के साथ किया गया है। इस आशय की जानकारी मीडिया प्रभारी डॉ कुमार राज्यवर्धन ने देते हुए बताया है कि


तीसरा समझौता स्वचालित पैडी भीड़ के लिये है। यह एक अत्याधुनिक मशीन है जिससे धान की फसल की पंक्तियों में सीधी बुवाई एवं रोपनी के बाद कर पतवार नियंत्रण किया जा सकता है। यह मशीन खेतों में तीन चार सेमी पानी रहने पर तथा सूखा रहने पर दोनों स्थितियों में काम करता है। इस मशीन के उपयोग से तीस चालीस दिनों तक कर पतवार नहीं पनपता है। इस मशीन के उत्पादन एवं व्यवसायीकरण के लिये बीसीएस कंपनी से समझौता किया गया है।



इसी तरह ट्रैक्टर चालित मल्टीक्राप सीडर के उत्पादन एवं व्यवसायीकरण के लिये मां दुर्गा एग्रो इंडस्ट्री के साथ समझौता किया गया है। यह एक अत्यंत आधुनिक यंत्र है जिससे एक साथ धान गेंहूँ, दलहन और मक्के के बीजों की पंक्ति में बुवाई की जा सकती है।इस मशीन से अंतर्वर्ती खेती तथा मिश्रित खेती भी की जा सकती है। 


समझौता पत्र पर विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव डा पी पी श्रीवास्तव ने हस्ताक्षर किया। इस दौरान डीन पीजी डा के एम सिंह, डीन एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग डा अम्बरीष कुमार, डा प्रणब कुमार, इंजीनियर सुभाष कुमार,डा एस के पटेल, डा कुमार राज्यवर्धन समेत विभिन्न वैज्ञानिकों एवं पदाधिकारियों की उपस्थिति में हुआ।

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