प्रारंभिक स्कूलों की तरह हाइस्कूलों के = बच्चों का डाटा बेस बनाने की कवायद शुरू होगी. इससे एक क्लिक में हाइस्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सारी जानकारी सामने होगी. शिक्षण संस्थानों में भवनों का कायाकल्प करने के बाद विभाग की ओर से बच्चों को गुणवत्ता शिक्षा देने की कवायद के डाटा बेस बनाने की तैयारी पर विचार किया जा रहा है. डाटा बेस बनाने के बाद बच्चों को यूनिक नंबर दिया जाएगा.
नौवीं से बारहवीं तक नामांकित बच्चों व उनके माता-पिता का आधार तथा बैंक पासबुक से एक-एक बच्चे का प्रोफाइल ऑनलाइन किया जाएगा. एक क्लिक से नामांकित बच्चे का पूरा बायोडाटा मिल जाएगा. इससे दो स्कूलों में बच्चों के नामांकन पर भी रोक लग सकेगी. वही सरकारी स्कूलों में दाखिला लेकर गायब हो जाने वाले बच्चों की अब छुट्टी हो जायेगी. यही नहीं अब बिना किसी देरी के सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों को योजनाओं का लाभ मिलेगा. साथ ही सरकारी लाभ के लिए हेराफेरी कर कई स्कूलों में नामांकन कराने में महारत हासिल करने वाले अभिभावकों पर भी नकेल कसेगी. इधर अब प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूल की स्थिति से भी अभिभावक रू ब-रू हो सकेंगे. स्कूल में कितने शिक्षक हैं, मूलभूत संरचना की स्थिति जानना आसान होगा. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा दीक्षा मॉनीटरिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है. किस स्कूल में कितने बेंच-डेस्क है, लैब और लाइब्रेरी की स्थिति क्या है, खेल का मैदान और शौचालय की संख्या तुरंत पता चल जायेगी. इसके अलावा शिक्षकों की संख्या, छात्रों की संख्या भी पता चल जायेगी. यह काम पूरा पेपरलेस होगा. इसमें यू-डायस से जुड़े सभी स्कूलों को शामिल किया गया है. दीक्षा या निष्ठा प्रशिक्षण से कितने शिक्षक अब तक प्रशिक्षण लिये हैं, इसकी जानकारी भी मिलेगी. इसके लिए एससीइआरटी द्वारा हर जिले में टेक्निकल टीम बनायी गयी है.