पटना |
राज्य के सरकारी आयुर्वेद कॉलेज अस्पताल शिक्षकों की कमी का संकट झेल रहे हैं। शिक्षकों की कमी के कारण पांच सरकारी आयुर्वेद कॉलेज अस्पतालों में पहले ही तीन आयुर्वेद कॉलेज अस्पतालों बक्सर, दरभंगा व भागलपुर की मान्यता समाप्त हो चुकी है जबकि शेष बचे दो आयुर्वेद कॉलेज अस्पतालों में पटना व बेगूसराय की मान्यता पर भी संकट मंडरा रहा है। कोरोना संक्रमण के दौरान आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से इलाज को लेकर खास-ओ-आम के बढ़ते रुझान ने एक बार फिर आयुर्वेद की महत्ता स्थापित की है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग वर्तमान में संचालित दो सरकारी आयुर्वेद कॉलेज अस्पतालों में पढ़ाई व शोध इत्यादि को लेकर गंभीर नहीं हो रहा है।
जानकारी के अनुसार बेगूसराय व पटना स्थित दोनों सरकारी आयुर्वेद कॉलेज अस्पतालों में शिक्षकों की भारी कमी है। बेगूसराय स्थित राजकीय अयोध्या शिवकुमारी आयुर्वेद महाविद्यालय में 14 प्रोफेसर की जगह मात्र दो प्रोफेसर कार्यरत हैं और 12 पद रिक्त हैं। वहीं, 14 एसोसिएट प्रोफेसर में पांच पद रिक्त हैं, असिस्टेंट प्रोफेसर के 50 पद में 30 पद रिक्त हैं। इस महाविद्यालय में शिक्षकों के कुल 78 पदों में से 47 पद रिक्त हैं।
जबकि दूसरी ओर, पटना स्थित राजकीय आयुर्वेद कॉलेज अस्पताल में शिक्षकों के कुल 104 पदों में करीब 25 पद रिक्त है। कार्यचिकित्सा (मेडिसिन) विभाग में 10 शिक्षकों के पद हैं और इनमें 9 पद रिक्त हैं। एक शिक्षक हैं भी तो वे किडनी रोग के गंभीर मरीज है। इसी प्रकार, अन्य विभागों में भी असिस्टेंट प्रोफेसर हैं किंतु एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पद रिक्त हैं। कुछ संविदा व प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनात शिक्षक हैं तो उन्हें स्नात्तकोत्तर- (पीजी) (आयुर्वेद) की पढ़ाई के लिए गाइड बनने का अधिकार ही नहीं है।