पटना।
कहावत है जैसी मिट्टी वैसा स्वास्थ्य | यही कारण है कि मिट्टी में जिंक की कमी ने लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालना शुरू कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय जिंक संगठन की रिपोर्ट के अनुसार देश के ज्यादातर इलाकों की मिट्टी में जिंक की कमी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इस मामले में पूरे देश को रेड जोन में रखा। है। बिहार अतिसंवेदनशील जोन में है। जिंक की कमी से मिट्टी तो कुपोषित हो वाले अनाज भी कुपोषित होते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा अनाज खाने से नवजात कमजोर व नाटापन के शिकार हो रहे हैं। बुजुर्गों में अल्जाइमर यानी भूलने की बीमारी हो रही है तो युवाओं में काम करने की क्षमता कम होती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार जिस मिट्टी में जिंक की ज्यादा कमी पाई गई, उसमें एक से अधिक फसलों का उत्पादन हो रहा है। मिट्टी में 60 प्रतिशत तक जिंक की कमी पायी गई है। जिंक की कमी से फसलों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है। पौधे की बढ़वार काफी हो जाती है, पर लम्बा होकर कमजोर हो जाता है। जिंक की कमी से कमजोर हो जाता है। जिंक की कमी से पौधे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश भी सही मात्रा में ग्रहण नहीं कर पाते हैं। सर्वे के अनुसार पहले की तुलना में
मिट्टी में जिंक की ज्यादा कमी दिख रही है, क्योंकि मिट्टी में अब गोबर व तेलहनी खल्ली का इस्तेमाल नहीं के बराबर हो रहा है। गोबर और तेलहनी खल्ली से मिट्टी को सारे पोषक तत्व मिल जाते थे।